10 अगस्त 06:11pm से शुरू होकर 11 अगस्त 04:56 तक को हरियाली तीज व्रत मनाया जाएगा| इस दिन सुहागिने अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शंकर व मां पार्वती की पूजा करती हैं| हर साल सावन मास हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है|
हिन्दू धर्म में साल में चार तीज मनाई जाती है| हर तीज का अपना अलग महत्व है, और ये सभी बड़ी धूमधाम से यहाँ मनाई जाती है| तीज का महत्व औरतों के जीवन में बहुत अधिक होता है| हरियाली तीज को श्रावणी तीज व सिंधारा तीज भी कहते है| देश में अलग अलग प्रान्त के लोग इसे अलग अलग नाम से बुलाते है, लेकिन सबका उद्देश्य इस व्रत का एक ही होता है, अपने पति की लम्बी आयु| इस व्रत का एक और उद्देश्य है, बहुत गर्मी के बाद जब बरसात आती है तो चारों और हरियाली छाती है, इसी हरियाली और धरती के नयेपन को तीज के रूप में लोग मनाते है, ताकि हमारे देश में खेती अच्छे से हो| हरियाली तीज के व्रत के द्वारा लोग भगवान से अच्छी वर्षा की कामना करते है| औरतें अपने परिवार, पति के लिए प्रार्थना करती है| लड़कियां अच्छे वर की कामना करतीं हैं|
हिन्दू मान्यता के अनुसार तीज के व्रत के द्वारा ही माता पार्वती शिव को प्रसन्न कर पाई थी| इस दिन शिव ने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया था| माता पार्वती के लिए शिव को प्रसन्न करना इतना आसान नहीं था| पार्वती ने शिव को कैसे मुश्किल से प्रसन्न किया ये हम सब जानते है| बहुत कठिन तप के बाद पार्वती से शिव प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी बनाया|
हरियाली तीज के एक दिन पहले औरतें सिन्धारे मनाती है| नयी शादीशुदा औरतों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है, नयी शादीशुदा औरतों को अपना पहला सिंधारा हमेशा याद रहता है| हिन्दू धर्म में इस त्यौहार को बहुत अच्छे से मनाते है, राजस्थान में इसका विशेष महत्व होता है| सास अपनी नयी बहु को पूरा श्रृंगार का सामान देती है जिसमें मेहँदी, सिन्दूर, आलता, चूड़ी, बिंदी, पारंपरिक कपड़े, जेवर आदि शामिल होते हैं| श्रृंगार का सामान एक सुहागन के लिए सुहाग का प्रतीक होता है| कहते है अगर औरत श्रृंगार का पूरा 16 सामान पहनती है तो पति को लम्बी आयु मिलती है| शादी के बाद पहली हरियाली तीज औरतें अपने मायके में मनाती है|
हरियाली तीज की विभिन्न परम्परा को नीचे प्रदर्शित किया गया है :
हरियाली तीज का त्यौहार मेंहंदी के बिना अधूरा है| कोई भी त्यौहार आज मेहँदी के बिना अधूरा है| किसी भी लड़की व सुहागन की ज़िन्दगी में मेहँदी अहम् स्थान रखती है| सब लड़कियां व औरतें अपने हाथ व पैर में मेहँदी लगाती है| कहते है अगर मेहँदी का रंग ज्यादा गहरा होता है, मतलब उसका पति उससे बहुत प्यार करता है|
वट वृक्ष में झूला टांगा जाता है| सावन के झूले का हिन्दू समाज में बहुत महत्व है| वृक्ष में झूला डाल कर औरतें एवं लड़कियां झूला झूलती है और सावन के गीत गाती है| हरियाली तीज पर सब औरतें एक जगह इक्कठी होकर सावन के झूले का मजा लेती है और नाचती गाती है| इस दिन इन्हें अपने परिवार से आजादी होती है और किसी तरह की रोक टोंक नहीं होती|
तीज के दिन लोकल बाजार लगते है, तीज का मेला भरता है, जिसमें औरतों की मौज मस्ती के लिए बहुत कुछ होता है| यहाँ झूले लगाये जाते है, तरह तरह का समान मिलता है| औरतें एवं लड़कियां खुलकर शॉपिंग करती है| औरतों और लड़कियों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार होता है, क्यूंकि इस दिन वे मन चाहे तरीके से तैयार हो सकती है| नए नए कपड़े, जेवर से अपने आपको सजाती है| मेले में खाने के भी स्टाल लगाये जाते है|
तीज बाजार अब आधुनिक समय में बदल गया है| पहले ये शहर, गाँव में सबके लिए लगता था, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आ गया है| अब ये किसी समूह, समाज विशेष द्वारा एक जगह पर लगाया जाता है| सरकार द्वारा ये आयोजित नहीं होता है|
कुछ जगह हरियाली तीज पर व्रत भी रखा जाता है| हरियाली तीज व्रत का प्रावधान हर जगह नहीं है, ये मुख्य रूप से राजस्थान एवं मारवाड़ी समाज द्वारा ही रखा जाता है| वे लोग इस दिन पुरे 24 घंटे के लिए निर्जला व्रत रखती है| पानी की एक बूँद भी नहीं लेती है, और अपने पति की लम्बी आयु के लिए विशेष प्रार्थना करती है| पूरा दिन उपवास करके रात को पार्वती माता की पूजा करती है व अगले दिन सुबह यह व्रत तोड़ती है| तीज के दिन पार्वती जी की पूजा होती है जिन्हें तीज माता भी कहा जाता है| श्रावणी तीज राजस्थान में बहुत प्रचलित है| इस दिन वहां जगह जगह कार्यक्रम होते है| हर गली नुक्कड़ में नाच गाना होता है|
हरियाली तीज वैसे तो राजस्थान का त्यौहार है, लेकिन अब यह पुरे देश में मनाया जाता है| गुजराती औरतें इस त्यौहार में पारंपरिक कपड़े पहनकर कर गरबा करती है और सावन के गीत गाकर झूला झूलती है|
इसी तरह महाराष्ट्र में औरतें हरे कपड़े, हरी चूड़ी, गोल्डन बिंदी और काजल लगाती है| वे नारियल को सजा कर अपनी पहचान वालों में धन्यवाद करने के लिए एक दुसरे को देती है|
वृन्दावन में हरियाली तीज बड़े धूमधाम से मनाते है| इस दिन से जो त्यौहार शुरू होते है, कृष्ण जन्माष्टमी तक चलते है| कृष्ण जन्माष्टमी का महत्त्व व पूजा विधि जानने के लिए पढ़े| कहते है कृष्ण जी वृन्दावन में अपनी राधा और गोपियों के साथ हरियाली तीज बड़ी धूम से मनाया करते थे| वृन्दावन में आज भी इस परंपरा को कायम रखा गया है और जगह जगह झूले डाले जाते है जहाँ औरतें झूला झूलती है और सावन गीत गाती है| इसे वहां झुल्लन लीला कहा जाता है| बांके बिहारी मंदिर में कृष्ण के गानों से वातावरण मनमोहक हो जाता है| मंदिर में कृष्ण और राधा की लीला के बारे में भी बताया जाता है| कहते है इस दिन कृष्ण और राधा इस मंदिर में अपने स्थान में आते है और कृष्ण राधा को झूला झुलाते है| वृन्दावन में हरियाली तीज के दिन सोने का झूला बनाया जाता है| यह साल में एक बार बनता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है और भक्तों के सैलाब से वृंदावन झूम उठता है|
भगवान् कृष्ण की पूजा आराधना के बाद यहाँ सब पर पवित्र जल छिड़का जाता है, जिससे सबको बहुत अच्छी अनुभूति होती है| वृंदावन में हरियाली तीज के लिए विशेष इंतजाम होते है, विदेशी तो इसे देखने के लिए विशेष रूप से भारत आते है|