Navgrah Puja नवग्रह पूजा विधि

Navgrah Puja नवग्रह पूजा विधि

Posted By Admin on Sunday May 22 2022 65
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Navgrah Puja नवग्रह पूजा विधि :

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किसी भी पूजन कार्य में नवग्रह पूजा का विशेष महत्व है | नवग्रह पूजा हेतु ग्रहों का आवहान करके पहले उनकी स्थापना करें | फिर बाएं हाथ में अक्षत लेकर मंत्र का उच्चारण करते हुए दाएं हाथ से अक्षत अर्पित कर नवग्रहों का पूजन करें | 

 

सूर्य :

लाल अक्षत और लाल पुष्प लेकर निम्नलिखित मंत्र से सूर्य का आवाहन करें 

 

ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मत्यं च | 

हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्‌ ॥

 

जपा कुसमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्‌ ।

तमोऽरिं सर्वपापघ्नं सूर्यमावाहयाम्यहम्‌ ॥

 

ॐ भूर्भुवः स्वः कलिंगदेशोद्भव कश्यपगोत्र रक्तवर्ण भो सूर्य! इहागच्छ, इहतिष्ठ

ॐ सूर्याय नमः, श्री सूर्यमावाहयामि स्थापयामि च ।

 

भावार्थ : कश्यप गौत्र में उत्पन्न हे सूर्यदेव , आप मेरे शुभ कार्य में पधारकर कल्याण करें | 

 

चंद्र :

बाएं हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर दाएं हाथ से छोड़ते हुए इस मंत्र से चंद्र का आहवान करें :

 

ॐ इमं देवा असनपथ  सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्येष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येंद्रियाय ।

इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानाथ  राजा ॥

 

दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम्‌ । ज्योत्स्नापतिं निशानाथं सोममावाहयाम्यहम ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः यमुनातीरोद्धव आत्रेय गोत्र शुक्लवर्ण भो सोम! इहागच्छ, इहतिष्ठ ॐ सोमाय नमः |  सोममावाहयामि, स्थापयामि च ।

 

भावार्थ : रश्मिपति हे चंद्रदेव, आप मेरे शुभ कार्य में पधारकर कल्याण करें |

 

मंगल :

रक्तिम पुष्प और अक्षत दाएं हाथ में लेकर बाएं हाथ से छोड़ते हुए इस मंत्र से मंगल देव का आवहान  करें 

 

ॐ अग्निर्मूर्धा दिवः कुकुत्पतिः पृथिव्या अयम्‌। अपाध रेताधसी जिन्वति ॥

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्तेजस्समप्रभम्‌ ।कुमारं शक्तिहस्तं च भौममावाहयाम्यहम्‌ ॥

 

ॐ भूर्भुवः स्वः अवन्तिदेशोद्भव भारद्वाजगोत्र रक्तवर्ण भो भौम! इहागच्छ, इहतिष्ठ ॐ भौमाय नमः, भौममावाहयामि स्थापयामि च ।

 

भावार्थ : विद्द्युत समान तेजस्वी भूमिपुत्र हे मंगलदेव , आप मेरे शुभ कार्य में पधारकर कल्याण करें |

 

बुध :

पीत  व हरित अक्षत दाएं हाथ  में लेकर बाएं हाथ से छोड़ते हुए इस मंत्र से मंगल देवता का आवाहन करे 

 

ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते  सथजेथामयं च । 

अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन्‌ विश्वे देवा जयमानश्च सीदत ॥

प्रियंगकलिकाभासं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।

सौम्यं सौम्यगुणोपेतं बुधमावाहयाम्यहम्‌ ॥

 

ॐ भूर्भुवः स्वः मगधदेशोद्भव आत्रेयगोत्र पीतवर्ण भो बुध! इहागच्छ, इहतिष्ठ ॐ बुधाय नमः|   बुधमावाहयामि, स्थापयामि च ।

 

भावार्थ : हे सौम्य बुधदेव ! आप पूजन में पधारकर स्थापित हों और मुझे निर्भय करें 

 

बृहस्पति

 अष्टदल से अंकित बृहस्पति का आह्वान पीले रंग से रंगे अक्षत और पुष्प अर्पित कर करें|

 

ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।

यद्दीदयच्छवसः ऋतप्रजात्‌ तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्‌ ॥

उपयामगृहीतोऽसि बृहस्पतये त्वैष ते योनि बृहस्पतये त्व ।देवानां च मनीनां च गुरुं काञ्चनसन्निभम्‌ ।वंदनीयं त्रिलोकानां गुरुमावाहयाम्यंहम्‌ ॥

 

ॐ भूर्भुवः स्वः सिन्धुशोद्धव आडिगंरसगोत्र पीतवर्ण भी गुरो! इहागच्छ, इहतिष्ठ ॐ बृहस्पतये नमः, बृहस्पतिमावाहयामि स्थापयामि च ।

 

भावार्थ  :  हे देवगुरु बृहस्पति , आप पूजन कार्य में पधारे | 

 

शुक्र 

दैत्यगुरु शुक्र भगवान का आह्वान करने के लिए श्वेत फूल और अक्षत देवता को अर्पित करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें :

 

ॐ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत्क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः ।

ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपान शुक्रमन्धस इंद्रस्येद्रियमिदं पयोऽमृतं मधु ॥

 

हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्‌ । सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवमावाहयाम्यमहम्‌ ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः भोजकटदेशोद्धव भार्गवगोत्र शुक्लवर्ण भो शुक्र! इहागच्छ, इहतिष्ठ ॐ शुक्राय नमः, क्रमावाहयामि स्थापयामि च ।

 

भावार्थ : हे दैत्याचार्य शुक्रेव , आप पूजन कार्य में पधारे | 

 

शनि 

सूर्य पुत्र शनि का आह्वान करने के लिए काले रंग से रंगे अक्षत और काले फूल समर्पित करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें :

 

ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरपि स्रवन्तु नः ।|

नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌ ।छायामार्तण्डसम्भूतं शनिमावाहयाम्यहम्‌ ॥

 

ॐ भूर्भुवः स्वः सौराष्ट्रदेशोद्धव कश्यपगोत्र कृष्णवर्ण भो शनैश्चर! इहागच्छ, इहतिष्ठ ॐ शनैश्चराय नमः, शनैश्चरमावाहयामि, स्थापयामि च ।

 

भावार्थ : हे सूर्यपुत्र शनिदेव ! कृपा करके आप शुभ पूजन में पधारे और पूजन कार्य के पूर्ण करें | 

 

राहु 

सूर्य पुत्र शनि का आह्वान करने के लिए काले रंग से रंगे अक्षत और काले फूल समर्पित करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें :

 

ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरपि स्रवन्तु नः ।|

नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌ ।छायामार्तण्डसम्भूतं शनिमावाहयाम्यहम्‌ ॥

 

ॐ भूर्भुवः स्वः सौराष्ट्रदेशोद्धव कश्यपगोत्र कृष्णवर्ण भो शनैश्चर! इहागच्छ, इहतिष्ठ ॐ शनैश्चराय नमः, शनैश्चरमावाहयामि, स्थापयामि च ।

 

भवार्थ : हे अर्धकाय राहु ! आप पूजन में पधारकर इसे  सफल करें | 

 

केतु 

केतु का आह्वान करने के लिए धूमिल अक्षत और फूल लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करें -

 

ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे । समुषद्धिरजायथाः ॥

 

पलाशधूम्रसगांश तारकाग्रहमस्तकम्‌ ।रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं केतु मावाहयाम्यहम्‌ ॥

 

ॐ भूर्भुवः स्वः अंतवेदिसमुद्धव जैमिनिगोत्र धूम्रवर्ण भी केतो! इहागच्छ, इहतिष्ठ ॐ केतवे नमः, केतुमावाहयामि स्थापयामि च ।

 

भावार्थ : हे रौद्ररूप - धूम्रवर्ण केतु | आप पूजन में पधारकर ऐसे सफल करें | 

 

नवग्रह : नवग्रहों के आह्वान और स्थापना के बाद हाथ में अक्षत लेकर निम्न मंत्र उच्चारित करते हुए नवग्रह मंडल में प्रतिष्ठा के लिए अर्पित करें।

 

ॐ मनो जूर्तिर्ज्षतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं ततनोत्वरिष्टं यज्ञगुँ सममं दधातु।

विश्वे देवास इह मादयन्तामो3म्प्रतिष्ठा ॥

 

निम्न मंत्र से नवग्रहों का आह्वान करके उनकी पूजा करें :

 

अस्मिन नवग्रहमंडले आवाहिताः सूर्यादिनवग्रहादेवाः सुप्रतिष्ठिता वरदा भवन्तु ।

 

प्रार्थना

 

ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसतो बुधश्च गुरुश्च शुक्रः शनि राहुकेतवः सर्वेग्रहाः शांतिकरा भवन्तु 

 

सूर्यः शौर्यमथेन्दुरुच्चपदवीं सन्मंगलं मंगलः सद्बुद्धिं च बुधो गुरुश्च गुरुतां शुक्र सुखं शं शनिः ।

 

राहुर्बाहुबलं करोतु सततं केतुः कुलस्यो नतिं नित्यं प्रीतिकरा भवन्तु मम ते सर्वेऽनकूला ग्रहाः ॥

 

 

इस प्रकार नवग्रहों को शुभ कार्य की सफलता हेतु आव्हान एवं प्रतिष्ठा करने के पश्चात्‌ पूजन प्रारंभ होता है।

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