हिंदू धर्म के अनुसार कुल 4 (चार) नवरात्रि होती है. माघ और आषाढ़ में पड़ने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है| गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व महत्व
हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है इस नवरात्रि में कुछ तांत्रिक और सात्विक दोनों प्रकार की पूजा भी होती है| पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि शुरू होती है|
तांत्रिक पूजा के लिए गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से अधिक होता है| इन गुप्त नवरात्रियों में भी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का, तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना आदि के लिए विशेष महत्व होता है| गुप्त नवरात्रि में व्यक्ति 10 महाविद्याओं का ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करता है| ऐसी मान्यता है कि तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए इस समय की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है. इस नवरात्रि में साधक मां आदिशक्ति की दस महाविद्याओं की पूजा गुप्त रूप से करते हैं| मान्यता है कि इस समय विधि-विधान से की गई पूजा से मां दुर्गा की ये दस महाविद्याएं साधक को कार्य सिद्धि प्रदान करती हैं|
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं. इसमें स्नानादि करके घर में गुप्त स्थान पर मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी चढ़ाते हैं| इसके बाद मां के चरणों में पूजा सामग्री के साथ-साथ लाल पुष्प चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है. मां के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें| उसके बाद आरती आदि करके पूजा समाप्त करें|