हनुमान जयन्ती (Hanuman Jayanti)

हनुमान जयन्ती (Hanuman Jayanti)

Posted By Admin on Saturday April 1 2023 62
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रामभक्त हनुमान का जन्म माँ अंजना के गर्भ से हुआ था। स्कंदपुराण के अनुसार हनुमान जी को रुद्रावतार और वायुपुत्र भी कहते हैं। हनुमान जन्म से ही महाबलवान तथा सभी शास्त्रों के ज्ञाता थे।

मैत्रेय जी हनुमान के बारे में कहते हैं

महाबलं महासत्वं विष्णुभक्तिपरायणम्। सर्वदेवमयं वीरं ब्रह्मविष्णुशिवात्मकम्।।

वेदवेदान्ततत्त्वज्ञं सर्वविद्याविशारदम्। सर्वब्रह्मविदां श्रेष्ठं सर्वदर्शनसम्मतम्।।

(वह बालक) महाबलशाली, बड़े शरीर का, विष्णु की भक्ति में परायाण, सभी देवताओं का अंश होने से  सभी देवताओं के रूप वाला, वीर, ब्रह्माविष्णुशिवात्मक, वेद और वेदान्त को तत्त्व से जानने वाला,सभी विद्याओं

मे विशारद, सभी ब्रह्मविदों में श्रेष्ठ एवं सभी दर्शनों का ज्ञाता था।

 

हनुमान जी के जन्म को लेकर विद्वानों में अलग-अलग मत हैं जिनमें तीन तिथियाँ

(चैत्र पूर्णिमा, चैत्र शुक्ल एकादशी तथा कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) सर्वाधिक प्रचलित हैं |

इसमें से चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जन्म सर्वमान्य है | इस मत को निम्नलिखित श्लोक से समझा जा सकता है:

 

"महाचैत्री पूर्णीमाया समुत्पन्नौ अन्जनीसुतः। वदन्ति कल्पभेदेन बुधा इत्यादि केचन ।।"

 

हनुमान का जन्म मेष लग्न में, चित्रा नक्षत्र में हुआ था।

हनुमान के जन्म को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। आजकल कुछ लोगों ने भ्रम की स्थिति पैदा की है जिसमें वो यह कहते हैं हनुमान जयंती न कहकर हनुमान जन्मोत्सव कहना चाहिए। इस बात का शास्त्रीय कोई आधार नहीं है।

शास्त्र कहते हैं

जयंतीनामपूर्वोक्ता हनूमज्जन्मवासरः तस्यां भक्त्या कपिवरं नरा नियतमानसाः।

जपंतश्चार्चयंतश्च पुष्पपाद्यार्घ्यचंदनैः धूपैर्दीपैश्च नैवेद्यैः फलैर्ब्राह्मणभोजनैः।

समंत्रार्घ्यप्रदानैश्च नृत्यगीतैस्तथैव च तस्मान्मनोरथान्सर्वान्लभंते नात्र संशयः॥

 

हनुमान के जन्म का दिन जयंती नाम से बताया गया है। उस दिन भक्तिपूर्वक, मन को वश मे करके, पुष्प, अर्घ्य चंदन से, धूप, दीप से, नैवेद्य से, फलों से, ब्रह्मणों को भोजन कराने से, मंत्रपूर्वक अर्घ्य प्रदान करने से

तथा नृत्यगीता आदि से कपिश्रेष्ठ का जप, अर्चना करते हुए मनुष्य सभी मनोरथों को प्राप्त करते हैं, इसमें कोई संशय नहीं है।

 

 

हमारे पुराण कहते हैं गणेश और हनुमान ही कलियुग के ऐसे देवता हैं, जो अपने भक्तों से कभी रुठते नहीं, अत: इनकी आराधना करने वालों से ग़लतियां भी होती हैं, तो वह क्षम्य होती हैं।

 

हनुमान जयन्ती पर ये करें :

  1. मंदिर में हनुमान जी को चमेली के तेल में अथवा शुद्ध देशी घी में चोला चढ़ा कर चांदी का वरक लगाएं। केले का प्रसाद चढ़ाएं। सुन्दर गुलाब के फूलों की माला और इत्र चढ़ाएं।

    आज हनुमान जी को बिना चूना लगा हुआ एक मीठा पान चढ़ाएं। पान में इलायची और लौंग जरूर हो।

  2. श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, राम रक्षा स्तोत्र का पाठ जरूर करें।  सुन्दर काण्ड का पाठ तो सर्वोत्तम है। हनुमानजी के बारह नाम का जप करें। श्रीहनुमद वडवानल स्तोत्र का पाठ करें।

  3. हनुमान जी को चूरमा का भोग लगाएं

हनुमान जी के बारह नाम

"हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।

रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।

उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।

लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।"

 

उनका एक नाम तो हनुमान है ही, दूसरा अंजनी सूनु, तीसरा वायुपुत्र, चौथा महाबल, पांचवां रामेष्ट (राम जी के प्रिय), छठा फाल्गुनसख (अर्जुन के मित्र), सातवां पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले) आठवां अमितविक्रम, नौवां उदधिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले), दसवां सीताशोकविनाशन (सीताजी के शोक को नाश करने वाले), ग्यारहवां लक्ष्मणप्राणदाता (लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले) और बारहवां नाम है- दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को चूर करने वाले) ये बारह नाम श्री हनुमानजी के गुणों के द्योतक हैं। श्रीराम और सीता के प्रति जो सेवा कार्य उनके द्वारा हुए हैं, ये सभी नाम उनके परिचायक हैं और यही श्री हनुमान की स्तुति है। इन नामों का जो रात्रि में सोने के समय या प्रातःकाल उठने पर अथवा यात्रारम्भ के समय पाठ करता है, उस व्यक्ति के सभी भय दूर हो जाते हैं।

भारत के प्रमुख हनुमान मंदिर:

  1. बालाजी हनुमान मंदिर, मेहंदीपुर (राजस्थान)

  2. सालासर हनुमान मंदिर, सालासर (राजस्थान)

  3. हनुमानगढ़ी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश) -- असाध्य रोगों की शान्ति के लिये विशेष पूजा

  4. हनुमानधारा, चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) --  बंधन व कारागार से मुक्ति हेतु विशेष पूजा

  5. संकटमोचन मंदिर, बनारस (उत्तर प्रदेश) -- धनप्राप्ति और व्यापार में सफलता के लिए विषेश पूजा

  6. बड़े हनुमान मंदिर, इलाहबाद (उत्तर प्रदेश) -- विद्या बुद्धि कि प्राप्ति के लिये विशेष पूजन

  7. श्री हनुमान मंदिर, जामनगर(गुजरात)

  8. श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर(गुजरात)

  9. कैम्प हनुमान जी मंदिर, अहमदाबाद (गुजरात)

  10. महावीर हनुमान मंदिर, पटना(बिहार)

  11. श्री पंचमुख आंजनेयर स्वामी जी, कुम्बकोनम(तमिलनाडू)

  12. मस्त बलवीर हनुमान मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

  13. संकटमोचन श्री हनुमान मंदिर, फिल्लौर

  14. जाखू टैम्पल, शिमला (हिमाचल प्रदेश)

  15. अंजनेरी पर्वत, नासिक (महाराष्ट्र) -- सन्तान प्राप्ति के लिये पुजा का विशेष महत्व

  16. नया हनुमान मन्दिर, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) -- मनचाही नौकरी प्राप्ति हेतु विशेष पूजन

  17. श्री सिंहपौर हनुमान मंदिर, वृन्दावन (उत्तर प्रदेश) -- शत्रुओं से रक्षा हेतु विशेष पूजन

  18. पंचमुखी हमुमान मन्दिर, कोलकाता

     

मेरे हमेशा
एक ही देवता हैं - हनुमान,
एक ही मंत्र है - हनूमत्प्रकाशक मंत्र,
एक ही मूर्ति है - हनुमान स्वरूप की, और
एक ही कर्म है - हनुमान की पूजा।

 

एको देवस्सर्वदश्श्रीहनूमान् एको मन्त्रश्श्रीहनूमत्प्रकाशः।

एका मूर्तिश्श्रीहनूमत्स्वरूपा चैकं कर्म श्रीहनूमत्सपर्या॥

 

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