संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पूजन महत्तव

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पूजन महत्तव

Posted By Admin on Saturday April 1 2023 67
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संकष्टी चतुर्थी सकट चौथ

                    

 

हिन्दू मान्यता के अनुसार माघ माह को कृष्ण पक्ष को संकष्टी चतुर्थी व सकट चौथ का त्यौहार मनाया जाता है। इसदिन संकटहरण गणपति जी का पूजन किया जाता है। इस दिन विधा, बुद्धि बारिधि गणेश व चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिये। अर्थात भालचन्द्र नामक गणेश का पूजन सकट के दिन करने का प्राचीन विधान है। 

संकष्टी चतुर्थी महत्त्व 

संकष्टी नाम से ही पता चलता है, इसका मतलब है संकट हरने वाली. इस व्रत के रहने से किसी भी तरह की परेशानी दूर होती है। जीवन में यास्त्रियां इस व्रत को करती हैं तो वे निम्न श्लोक से  शांति आती है। इस व्रत को कोई भी गणेश जी का विश्वासी रख सकता है।  इस व्रत को रखने वाले को अच्छी बुद्धि, जीवन में सुख सुविधा मिलती है।
 

संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि 

सूर्योदय के पहले उठकर स्नान कर लें प्रातःकाल षोडशोपचार विधि से गणेश जी का पूजन करें यदि आप ऐसा करने में समर्थ नहीं है या स्त्रियां इस व्रत को करते समय निम्न श्लोक से गणेश वन्दना करें।

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्य जम्बू फल चारु भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।। गणेशजी की उत्तम मूर्ति या भालचन्द्र नामक गणेश जी का ध्यान करके पूजा के पुष्प अर्पण करें।

पूजन से पूर्व तिल के दस लड्डू बना लें, पूजन के बाद पाँच लड्डू गणेश जी को अर्पण कर शेष पाँच लड्डू ब्राह्मणों को दान में दें। ब्राह्मणकी पूजा भी भक्तिपूर्वक करके ही उन्हें दक्षिणा एवं पाँच लड्डूओं को उन्हें प्रदान करें। इस प्रकार से इस दिन तिल के लड्डूओं का नैवैध अर्पण करके ही इनही का आहार ग्रहण किया जाता हैं।

इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत (उपवास) रखती हैं।  व संध्या के समय फलाहार ग्रहण करती है। तथा संध्पूया के समय भगवान गणेश जी की पूजा करके व सकट चौथ की कथा समस्त स्त्रियां सुनकर तथा चन्द्रोदय के समय चन्द्रमा को अर्घ देकर   अगर बादल के चलते चंद्रमा नहीं दिखाई देता है तो, पंचाग के हिसाब से चंद्रोदय के समय में पूजा कर लें। शाम की पूजा के लिए गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनायें. गणेश जी के बाजु में दुर्गा जी की भी फोटो रखें, इस दिन दुर्गा जी की पूजा बहुत जरुरी मानी जाती है.इसे धुप, दीप, अगरबत्ती, फूल से सजाएँ. प्रसाद में केला, नारियल रखें.गणेश जी प्रिय मोदक बनाकर रखें. इस दिन गुड़ व तिली के मोदक बनाये जाते है.गणेश जी के मन्त्र का जाप करते हुए कुछ मिनट का ध्यान करें.कथा सुने.आरती करके, प्राथना करें। इसके बाद चन्द्रमा की पूजा करें उसे जल अर्पण कर, फूल, चन्दन चढ़ाएं. चन्द्रमा की दिशा में चावल चढ़ाएं.पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद सबको वितरित किया जाता है|गरीबों को दान भी किया जाता है|

 

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा 

शिव पार्वती एक बार नदी किनारे बैठे हुए थे।  पार्वती को चोपड़ खेलने का मन किया, उस समय उन दोनों के अलावा वहां कोई नहीं था, तो खेल में हार जीत का फैसला कौन करेगा यह सोच कर, पार्वती ने मिट्टी, घास से एक मूरत बनाई और उसमें जान फूंक दी।  उन्होंने उस बालक से बोला कि तुम खेल का फैसला करना। खेल शुरू हुआ 3-4 बार खेलने के बाद हर बार जीत पार्वती की हुई लेकिन भूलवश बालक ने शिव का नाम ले लिया. पार्वती जी क्रोधित होकर उसे लंगड़ा बना देती है।  बालक उनसे माफ़ी मांगता है, और उपाय पूछता है. ममतामयी माता पार्वती उसे बताती है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन यहाँ कुछ कन्यायें गणेश की पूजा करने आती है, तुम उनसे व्रत की पूजा विधि पूछना और इस व्रत को श्रद्धापूर्वक रखना।  कुछ समय बाद संकष्टी व्रत के दिन वहां कन्यायें आती है, जिनसे वो बालक व्रत की विधि पूछकर व्रत रखता है। व्रत के कुछ समय बाद गणेश जी उसे दर्शन देकर वरदान मांगने को बोलते है. बालक अपने माता पिता शिव पार्वती के पास जाने को बोलता है।  गणेश जी तथास्तु बोलकर चले जाते है. बालक तुरंत शिव के पास पहुँच जाता है. उस समय पार्वती शिव से रूठकर कैलाश छोड़ कर चली जाती है।  शिव उस बालक से श्राप मुक्त कैसे हुआ ये पूछते है. वो सब बताता है, तब शिव भी  पार्वती को वापस बुलाने के लिए यह व्रत रखते है। कुछ समय बाद पार्वती का मन अचानक से वापस जाने की बात आ जाती है, और वे खुद वापस कैलाश आ जाती है।  इस तरह ये कथा ये बताती है कि गणेश व्रत किस तरह हमारी मनोकामना पूरी होती है और सारे संकट दूर होते है।

 

संकष्टी चतुर्थी व्रत उपवास खाना 

संकष्टी व्रत में अन्न नहीं खाया जाता है। इस व्रत में दिन में फल, जूस, मिठाई बस खाया जाता है।  शाम को पूजा के बाद फलाहार जिसमें साबूदाना खिचड़ी, राजगिरा का हलवा, आलू मूंगफली, सिंघाड़े के आटे का समान खा सकते है. व्रत वाले खाने को सेंधा नमक में बनाया जाता है| व्रत में मिट्टी के अंदर, जड़ वाली सब्जी खा सकते है। गणेश जी को मनाना बहुत आसान होता है, वे बहुत सीधे और जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवन है. गणेश जी बुद्धि के भी देवता है, उन्हें अत्याधिक ज्ञान था. पढाई करने वाले बच्चे का गणेश जी की आराधना करने से अच्छी बुद्धि मिलती है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान इन मंत्रो का उच्चारण करें –
ॐ गं गणपते नमः ( सभी प्रकार की सिद्धि हेतु)
ॐ विघ्न नाशिने नमः ( विघ्ननाश के हेतु) अथवा
गणपतिअथर्वशीर्ष का पाठ लाभकारी होगा

 

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा !

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा !!

एक दिन दयावन्त चार भुजा धारी !

मस्तक सिन्दूर सोहे मुसे की सवारी !!

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा !

लड्डू अन का भोग लागो सन्त करे सेवा !!

अन्धन को आँख देत कोढ़िन को काया !

बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया !!

हार चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा !

‘ सूरश्याम ‘ शरण आए सुफल कीजे सेवा !!

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा !

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा !!

विध्न – हरण मंगल – करण, काटत सकल कलेस !

सबसे पहले सुमरिये गौरीपुत्र गणेश !!

मराठी आरती

सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची

नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची

कंठी झलके माल मुक्ता फलांची | 

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती | 

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

रत्नखचितफरा तुज गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

हीरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा

रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया | 

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती |

 जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बंधना

सरल सोंड वक्र तुंड त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुर वर वंदना | 

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती | 

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

 

हिन्दी अर्थ

हे गणेश जी आप सुख देने वाले, दुखों को हरने वाले व विघ्नों को दूर करने वाले हो।

आप हर तरफ प्रेम की कृपा बरसाने वाले हो 

आपके हर अंग में सुन्दर सिन्दूर का उटना लगा है

जिनके गले में मणियों की माला है।

हे सबका मंगल (भला) करने वाले भगवन आपकी जय हो जय हो।

आपके दर्शन मात्र से ही हमारी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

हे गौरीकुमार आपकी चौकी रत्न जड़ित है।

माथे पर चन्दन व कुमकुम केशर का तिलक है।

मस्तक पर हीरे जड़ित मुकुट बड़ा सुशोभित हो रहा है।

जिनके चरणों में नूपुर रुनझुन कर रहे हैं।

हे सबका मंगल (भला) करने वाले भगवन आपकी जय हो जय हो।

आपके दर्शन मात्र से ही हमारी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

जिनका उदर (पेट) मोटा है जो पीला वस्त्र पहने हैंपेट पर सांप बांधे हैं। 

जिनकी सरल सूंड, वक्र तुंड व तीन नेत्र हैं। 

रामदास अपने घर(सदन) में आपकी बाट जोह रहा है (प्रतीक्षा कर रहा है)।

हे देव हम आपकी वंदना करते हैं हमारी संकटों से रक्षा करो।

हे सबका मंगल (भला) करने वाले भगवन आपकी जय हो जय हो।

आपके दर्शन मात्र से ही हमारी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

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