श्री राम की महिमा अनंत और अपार है। राम का नाम ही तारक मंत्र है। राम के जीवन का अध्ययन करें तो उनका पूरा जीवन ही शिक्षा देने वाला है। व्यक्ति थोड़े से दुःख से दुखी होकर मानसिक संतुलन खो देता है। श्री राम के जीवन को देखें तो उनके हर पग पर समस्याऐं आयी तो उन्होंने उनका सामना किया न की वो निराश हो गये।
हर समस्या का सामना करने के बाद भी उन्होंने समाज की हर मान्यता का सम्मान किया इसीलिए वो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के नाम से जाने जाते हैं। राम नाम का सहारा लेने की आवश्यकता आज हर व्यक्ति को है। बगैर राम नाम के सहारे के जीवन में असंतोष और विषमताएं आनी तय हैं। वस्तुतः हर कण में राम विराजमान हैं।
ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
ह्रीं राम ह्रीं राम ।
श्रीं राम श्रीं राम ।
क्लीं राम क्लीं राम।
फ़ट् राम फ़ट्।
रामाय नमः ।
श्री रामचन्द्राय नमः ।
श्री राम शरणं मम् ।
ॐ रामाय हुँ फ़ट् स्वाहा ।
श्री राम जय राम जय जय राम ।
राम राम राम राम रामाय राम ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नम :
बालक के नामकरण से लेकर अंतिम यात्रा तक राम नाम की महिमा है। श्री राम चरित मानस के अनुसार ईश्वर के सभी नामों में श्री राम नाम सर्वोच्च है। यह परम सुखदायी और कष्ट नाशक बताया गया है। राम चेतना का सजीब नाम है। जो कोई भी राम नाम का जाप करता है समस्त बाधाओं को परास्त कर सकता है क्यों की जीवन का शाश्वत सत्य है राम नाम।
श्री राम महा मंत्र : राम नाम का महा मंत्र है "श्री राम जय राम जय जय राम" यह मंत्र एक मात्र ऐसा मंत्र है जो जातक को भारी से भारी समस्याओं से निकाल सकने में समर्थ है।
मंत्र की महिमा : इस मंत्र का अर्थ है की जो समस्त दूषित कर्मों का अंत करने वाला है और आत्मा पर विजय प्राप्त करके शुभ फल देने वाला है।
इस मंत्र के नियमित जाप से सभी समस्याओं और संकटों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु का भय भी नहीं सताता है। इस मंत्र के जाप से समस्त विषय विकारों का अंत हो जाता है। जातक को दया, क्षमा, निष्कामता जैसे दिव्य गुणों की प्राप्ति होती है। इस मंत्र के जाप से पुराने संस्कारों का अंत होता है और जातक में आत्मिक बल बढ़ता है जिससे उसके चरित्र में स्थायित्व आता है।
इस मंत्र में ‘श्री’, ‘राम’ और ‘जय’ तीन शब्दों का एक चरणबद्ध तरीके से दोहराव हुआ है। इस मंत्र में ‘श्री’ शब्द का प्रयोग लक्ष्मी स्वरूपा माता सीता के लिए हुआ है और "रा" से अभिप्राय है अग्नि जो इस जगत के समस्त दूषित कर्मो का अंत करती है। "म" तात्पर्य है जल जो जीवन का आधार माना गया है जिसे जीवात्मा के रूप में भी समझा जा सकता है।
श्री राम के निम्न अन्य लाभदायक मंत्र है :
To Avoid Akal Mrityu (Sudden Death) chant this Mantras.
To get rid from poverty an problems in life chant this Mantras.
For Putra Ratn Prapti Chant this Mantra-
स्त्रोत और मंत्र में क्या अंतर होता है : स्त्रोत और मंत्र देवताओं को प्रशन्न करते के शक्तिशाली माध्यम हैं। आज हम जानेंगे की मन्त्र और स्त्रोत में क्या अंतर होता है। किसी भी देवता की पूजा करने से पहले उससे सबंधित मन्त्रों को गुरु की सहायता से सिद्ध किया जाना चाहिए।
स्त्रोत : किसी भी देवी या देवता का गुणगान और महिमा का वर्णन किया जाता है। स्त्रोत का जाप करने से अलौकिक ऊर्जा का संचार होता है और दिव्य शब्दों के चयन से हम उस देवता को प्राप्त कर लेते हैं और इसे किसी भी राग में गाया जा सकता है। स्त्रोत के शब्दों का चयन ही महत्वपूर्ण होता है और ये गीतात्मक होता है।
मन्त्र : मन्त्र को केवल शब्दों का समूह समझना उनके प्रभाव को कम करके आंकना है। मन्त्र तो शक्तिशाली लयबद्ध शब्दों की तरंगे हैं जो बहुत ही चमत्कारिक रूप से कार्य करती हैं। ये तरंगे भटकते हुए मन को केंद्र बिंदु में रखती हैं। शब्दों का संयोजन भी साधारण नहीं होता है, इन्हे ऋषि मुनियों के द्वारा वर्षों की साधना के बाद लिखा गया है। मन्त्रों के जाप से आस पास का वातावरण शांत और भक्तिमय हो जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रिक करके मन को शांत करता है। मन के शांत होते ही आधी से ज्यादा समस्याएं स्वतः ही शांत हो जाती हैं। मंत्र किसी देवी और देवता का ख़ास मन्त्र होता है जिसे एक छंद में रखा जाता है। वैदिक ऋचाओं को भी मन्त्र कहा जाता है।
इसे नित्य जाप करने से वो चैतन्य हो जाता है। मंत्र का लगातार जाप किया जाना चाहिए। सुसुप्त शक्तियों को जगाने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं। मंत्र एक विशेष लय में होती है जिसे गुरु के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। जो हमारे मन में समाहित हो जाए वो मंत्र है। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ ही ओमकार की उत्पत्ति हुयी है। इनकी महिमा का वर्णन श्री शिव ने किया है और इनमे ही सारे नाद छुपे हुए हैं। मन्त्र अपने इष्ट को याद करना और उनके प्रति समर्पण दिखाना है। मंत्र और स्त्रोत में अंतर है की स्त्रोत को गाया जाता है जबकि मन्त्र को एक पूर्व निश्चित लय में जपा जाता है।
श्री राम महामंत्र Shri Raam Mahamantra
रामाय राम भद्राय , श्री रामचन्द्राय वेधसे
रघुनाथाय नाथाय , सीतायाः पतये नमः
Raamay Raam Bhadray, Shri RaamChandray Vedhase
Raghunathaay, Nathaay Sitaaya Pataye Namah.